प्रस्तावना
मध्यकालीन दर्शन[1] मोटे तौर पर रोमन साम्राज्य के ईसाईकरण (लगभग ५०० CE) से लेकर पुनर्जागरण (लगभग १५०० CE) तक का ज्ञान है । इस अवधि में आंशिक रूप से तत्कालीन सिद्धांतों को एकीकृत और परिभाषित किया गया । इस अवधि के दौरान चर्चा किए गए कुछ पहलू थे - विश्वास का तर्क से संबंध, ईश्वर का अस्तित्व और एकता, धर्मशास्त्र, सार्वभौमिकता और व्यक्तित्व की समस्याएं ।
हिब्रू बाइबिल का पहला प्रमुख व्यापक मसौदा उत्पत्ति का वर्णनन करता है, इसकी मूल रचना लगभग ६०० BCE में हुई थी । उत्पत्ति निर्माण[2] यहूदी और ईसाई धर्मों की सृजन से जुडी कथा है । कथा दो कहानियों से बनी है, जो लगभग उत्पत्ति की पुस्तक के पहले दो अध्यायों में संगृहीत है । पहली कहानी में, एलोहीम (ईश्वर) छह दिनों में आकाश और पृथ्वी का निर्माण करता है, फिर सातवें पर आराम करता है, आशीर्वाद देता है, और पवित्र करता है । दूसरी कहानी में, परमेश्वर ने आदम को धूल से बनाया और उसे एक वाटिका में रखा, जहां उसे जानवरों पर प्रभुत्व दिया गया । हव्वा, आदम से उसके साथी के रूप में बनाई गई ।
ऐसा माना जाता था कि ईसा के जन्म से लगभग ४००० साल पहले ईश्वर ने दुनिया की रचना की थी । १६६४ CE में आयरलैंड के आर्चबिशप श्रद्धेय जेम्स अशर[3] ने घोषणा की कि भगवान ने २३ अक्टूबर ४००४ BCE सुबह 9 बजे पृथ्वी का निर्माण किया था ।
सृजन के छह दिन
पहला दिन
भगवान ने प्रकाश की उत्पत्ति की । उसने प्रकाश को देखा और उसे अन्धकार से अलग किया । भगवान ने उजाले को दिन और अन्धकार को रात कहा । इस सुबह और शाम से एक दिन का निर्माण हुआ ।
दूसरा दिन
परमेश्वर ने ऊपर आकाश को बनाया और उसके नीचे जल को स्थापित किया, जो आकाश के ऊपर था । परमेश्वर ने आकाश को स्वर्ग कहा ।
तीसरे दिन
परमेश्वर ने आकाश के नीचे के जल को एक स्थान पर इकट्ठा किया, जिससे सूखी भूमि दिखाई दी । परमेश्वर ने सूखी भूमि को पृय्वी और जल के समूह को समुद्र कहा । परमेश्वर ने पृय्वी पर घास, जड़ी बूटी, और फलदार वृक्ष उपजाए ।
चौथा दिन
दिन को रात से अलग करने के लिये ईश्वर नें आकाश में ज्योतियां स्थापित कीं । इसके अतिरिक्क परमेश्वर ने दो बड़ी ज्योतियां बनाईं, दिन पर प्रभुता करने के लिए बड़ा उजियाला और रात को राज्य करने के लिथे कम ज्योति और सितारे ।
पाँचवा दिवस
परमेश्वर ने आदेश दिया कि जल जीवधारियों के झुण्डों से भर जाए और पक्षी खुले आकाश में पृथ्वी के ऊपर उड़ें , और ऐसा हुआ । परमेश्वर ने बड़े समुद्री राक्षसों, पृथ्वी पर रेंगने वाले जन्तुओं, हवा में उड़ने वाले पक्षियों, और जल में निवास करने वाले सभी जन्तुंओं को उत्पन्न किए । परमेश्वर ने उन्हें यह कहकर आशीष दी कि वे फूलें-फलें और पृथ्वी, समुद्र, और आकाश में भर जायें ।
छठा दिन
परमेश्वर ने पृथ्वी पर ऊपरी जाति के जीवधारियों और घरेलू पशुओं को उत्पन्न किया । परमेश्वर ने फिर मनुष्य को अपके स्वरूप में बनाया । परमेश्वर ने कहा कि मनुष्य सारी पृय्वी पर रेंगनेवाले जन्तुओं, समुद्र की मछलियों, आकाश के पक्षियों, और घरेलू पशुओं पर प्रभुता करे । परमेश्वर ने उन्हें आशीष दी कि वो फूलें-फलें और पृथ्वी में भर जाएं और अन्य जन्तुओं पर अधिकार रखें ।
सातवें दिन दिव्य विश्राम
स्वर्ग, पृय्वी, और उस पर सभी तरह के जीव जंतुओं और मनुष्य का निर्माण करने के बाद परमेश्वर का काम पूरा हुआ और सातवें दिन उन्होनें विश्राम किया । परमेश्वर ने सातवें दिन को आशीष दी और उसको पवित्र ठहराया ।
संदर्भ
- Wikipedia, The Free Encyclopedia. Medieval philosophy. https://en.wikipedia.org/wiki/Medieval_philosophy
- Wikipedia, The Free Encyclopedia. Genesis creation narrative. https://en.wikipedia.org/wiki/Genesis_creation_narrative
- Wikipedia, The Free Encyclopedia. Ussher chronology. https://en.wikipedia.org/wiki/Ussher_chronology