प्रस्तावना
आधुनिक विज्ञान ने अपनी यात्रा स्थूल से शूक्ष्म[1] की तरफ की है । उन्होंने उन वस्तुओं से शुरू किया जो हमारी आंखों के लिए दृश्यमान थीं और फिर उस बिंदु तक गहराई में गए जहां उन्होंने महसूस किया कि कोई कण है ही नहीं । सारा ब्रह्मांड बस एक कम्पन है, उस द्रव जैसे पदार्थ में जिसने सारी सृष्टि को भरा हुआ है ।
दूसरी ओर वैदिक विज्ञान ने शूक्ष्म से स्थूल की यात्रा की । जहां उन्होंने चेतना को उसके मूल स्तर पर अनुभव किया । उन्होंने घोषणा की कि चेतना ही एकमात्र वास्तविकता है और बाकी संपूर्ण विश्व इस चेतना में शक्ति प्रवाह के कारण दिखाई देता है । उन्होंने इस चेतना को शिव की संज्ञा दी और उस कम्पन को शक्ति कहा ।
आधुनिक ज्ञान
आधुनिक विज्ञान के अनुसार[1], संपूर्ण ब्रह्मांड को बनाने वाले मूलभूत कण अंतरिक्ष में कंपन के अलावा और कुछ भी नहीं हैं । स्वयं यह अंतरिक्ष, समय, और प्रकृति के चारों बल इन कंपनों से ही बने हैं । अभी तक हम इन मूलभूत कणों में से कुछ ही की व्याख्या कर पाए हैं - जैसे अभी तक गुरुत्वाकर्षण शक्ति को परिभाषित नहीं कर पाए हैं ।
प्रमाणों के आधार पर वैज्ञानिकों का मानना है[2] कि किसी मौलिक स्तर पर प्रकृति की चारों शक्तियाँ एक ही होनी चाहिए । इस एकीकरण का पता लगाना भौतिकी की एक बड़ी चुनौती है ।
हिग्ग्स बोसॉन, एक काल्पनिक कण जो हर उस चीज का आधार है जिसे हम देखते हैं या नहीं देखते हैं, पूरे ब्रह्माण्ड को भरे हुए है । यह असाधारण है और ऊर्जा से भरा हुआ है । आधुनिक विज्ञानं के अनुसार[3] इस खाली अंतरिक्ष का घनत्व १०९३ ग्राम / सेमी३ है । यदि हम इस ब्रह्माण्ड के सम्पूर्ण पदार्थ को एक सेमी३ में रख दें, तो घनत्व १०५५ ग्राम / सेमी३ ही होगा ।
वैदिक ज्ञान
वैदिक ज्ञान के अनुसार प्रारंभ में सिर्फ चिदाकाश ही था । यह अनंत स्थान शिव तत्व से भरा हुआ था, जो शुद्ध चेतना थी । सृष्टि के प्रारंभ में शिव तत्व में प्रतिध्वनि पैदा हुई, जिसे शक्ति कहा गया । इस शक्ति से चिदाकाश में विभिन्न देवताओं की उत्पत्ति हुई । चिदाकाश के देवताओं द्वारा अनेक चित्ताकाशों का निर्माण हुआ । अब तक कई अलग-अलग चित्ताकाश उत्पन्न हो चुके हैं ।
यदि हम इन देवताओं, जो कि ३३ कोटि (प्रकार) के थे, को आधुनिक काल के प्राथमिक कणों, जो अपनी प्रकृति और व्याख्या में बहुत सीमित हैं, के रूप में प्रस्तुत [4] करने का प्रयास करें तो यह कुछ नीचे दी गई तालिका के रूप में दिखेंगे ।
प्रत्येक चित्ताकाश के देवताओं द्वारा एक अनंत भूताकाश (ब्रह्माण्ड) का निर्माण हुआ । श्रंखला में हमारे ब्रह्माण्ड का स्थान ८४ है । २१ ब्रह्माण्डों को छोड़ कर, बाकी सभी नष्ट हो चुके हैं । ब्रह्मांड, आकाशगंगाएं, ग्रह प्रणालियाँ, जीवन रूप, आदि की उत्पत्ति और विकास को ब्रह्मांड के सिद्धांतों [5] में खूबसूरती से प्रस्तुत किया गया है, जो वैदिक ज्ञान पर आधारित है ।
संदर्भ
- YouTube, Arvin Ash. Quantum Field Theory Visualized. https://youtu.be/jlEovwE1oHI
- YouTube, Arvin Ash. Why & How do the 4 Fundamental Forces of Nature Work?. https://youtu.be/xZqID1zSm0k
- YouTube, Nassim Haramein. The Connected Universe. https://youtu.be/xJsl_klqVh0
- Sri Sri Institute of Agricultural Sciences and Technology. Four Mandala Vaatika Courses. https://ssiast.spayee.com/
- YouTube, Shikhar Verma. Vedic Theories of the Universe. https://youtu.be/hEca1MiE4GA