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द्रविड़ संस्कृति

इस युग के दौरान, भारत में द्रविड़ संस्कृति[1] का विकास हुआ । वह भगवान शंकर के महान उपासक और अनुयायी थे । वे प्रकृति की अपनी गहरी समझ के कारण अत्यधिक सभ्य और संपन्न लोग थे । इन्होंने विज्ञान, प्रौद्योगिकी, वाणिज्य, आदि से संबंधित विभिन्न क्षेत्रों में अभूतपूर्व प्रगति की थी ।

इस युग में संहिताओं[2], ब्राह्मण ग्रन्थों[3], आरण्यकों[4], और उपनिषदों[5] का संकलन हुआ । ऋषि परमेष्ठी के नासदीय सूक्त और ऋषि नारायण के पुरुष सूक्त ने भारतीय दर्शन के विभिन्न विद्यालयों के विकास के लिए मजबूत नींव रखी । इन दो महत्वपूर्ण दर्शनों की रचना लगभग ११२०० BCE में की गई थी ।

वेद व्यास

जातुकर्ण्य वेद व्यास के गुरु थे । वे आयुर्वेद के छात्र थे और ११२०० - १११०० BCE के आसपास हुए थे । अग्निवेश ने इसी काल में चरक संहिता[6] के प्रारंभिक खंडों का लेखन किया था । शतपथ ब्राह्मण में उल्लेख है कि जातुकर्ण्य ब्रह्म विद्या के सबसे बड़े विद्वान थे ।

वेद व्यास पाराशर ऋषि के पुत्र थे, इसलिय इन्हे पराशर व्यास भी कहा जाता है । उनका जन्म एक नृत्यांगना से हुआ था । वे १११८० - ११०५० BCE के आसपास हुए थे । उन्होंने वैदिक ज्ञान को चार अलग-अलग खंडों में संकलित किया, जो कि ऋग्वेद, सामवेद, यजुर्वेद, और अथर्ववेद के नाम से जाने जाते हैं ।

पुराण २८ वेद व्यासों का उल्लेख करते हैं । पराशर व्यास व्यासों में प्रथम व्यास थे । महाभारत के काल में हुए वेद व्यास मत्स्य कन्या सत्यवती के पुत्र थे ।

ऋषि महिदास ऐतरेय

ऋषि ऐतरेय[7] ने ९३०० - ९१८४ BCE में ऋग्वेद की ऐतरेय ब्राह्मण, ऐतरेय आरण्यक, और ऐतरेय उपनिषद शाखाओं की रचना की थी । वह एक ऋषि के पुत्र थे और उनकी माता का नाम इतरा था । चान्दोग्योपनिषद और जैमिनीय उपनिषद में उल्लेख है कि महिदास ऐतरेय ११६ वर्षों तक जीवित रहे (२४ वर्ष विद्यार्थी के रूप में, ४४ वर्ष गृहस्थ के रूप में, और ४८ वर्ष वानप्रस्थ के रूप में) ।

ऐतरेय ब्राह्मण[3] शीतकालीन संक्रांति के मृगशिरा नक्षत्र से रोहिणी नक्षत्र में संक्रमण की बात करता है । यह खगोलीय घटना लगभग १०२०० BCE में घटित हुई थी ।

ऐतरेय ब्राह्मण

ऐतरेय ब्राह्मण में उल्लेख है कि भरत, वाचा, कुरु-पांचाल, और उशीनर मध्य देश के निवासी थे । सात्वत दक्षिण दिशा में रहते थे; संभवतः मत्स्य जनपद के करीब । ऐतरेय ब्राह्मण में उन ऋषियों और राजाओं की भी सूची है जो इस काल में हुए थे ।

खगोलीय साक्ष्य

शतपथ ब्राह्मण[8] में कुछ खगोलीय घटनाएं संदर्भित हैं, जिनकी पुष्टि की जा सकती है । बहु पीढ़ीगत अवलोकन से, जो किसी एक व्यक्ति के जीवनकाल में नहीं था, विभिन्न ऋषिओं ने २८ नक्षत्रों का अध्ययन किया और पाया कि कृत्तिका नक्षत्र सही आरोहण से विचलित नहीं होती है, जबकि अन्य सभी नक्षत्र उससे आगे बढ़ते हैं । यह तथ्य शतपथ ब्राह्मण में दर्ज है । यह वैज्ञानिक रूप से सिद्ध किया गया है कि ९२०० - ८७०० BCE के बीच कृतिका नक्षत्र का आरोहण स्थिर था और ज्यादा विचलन नहीं हुआ था, जबकि अन्य सभी नक्षत्रों का विचलन हुआ था ।

पुरा एथा: ग्रन्थ में लिखा है कि वैदिक ऋषियों ने ऋग्वैदिक काल की शुरुआत (लगभग १४००० BCE) से पारंपरिक रूप से सप्तर्षि नक्षत्र को उत्तरी तारामंडल के रूप में देखा था । शतपथ ब्राह्मण में भी स्पष्ट रूप से लिखा है कि प्राचीन काल से सप्तर्षियों का उदय उत्तर में हुआ था । ये तथ्य आज सर्व विदित है ।

शतपथ ब्राह्मण यह भी इंगित करता है कि वैशाख अमावस्या, याज्ञवल्क्य के समय में रोहिणी नक्षत्र में हुई थी । यह घटना ९१०० - ८५०० BCE के आसपास घटित होने के वैज्ञानिक प्रणाम है ।

अमंता संवत्सर

अमंत संवत्सर माघ शुक्ल प्रतिपदा को प्रारंभ हुआ था और पूर्णिमांत संवत्सर फाल्गुन पूर्णिमा को प्रारंभ हुआ था । शतपथ ब्राह्मण के आठवें खंड में सौर कक्षा को प्रदर्शित करने के लिए एक यज्ञवेदी के निर्माण का वर्णन है । इस यज्ञवेदी की व्यवस्था वर्ष को १८९ दिन और १७६ दिन के दो हिस्सों में विभाजित करती है । अगर हम ध्यान दें कि पेरीहेलियन गति का चक्र लगभग २०,००० वर्षों का है, तो वर्ष का १८९/१७६ दिनों का विभाजन अतीत में केवल ८८०० - ८७०० BCE, ४००० BCE, या १००० CE में संभव था । शतपथ ब्राह्मण के अन्य संदर्भों के साथ हम इस संवत्सर के वर्णन को ८८०० - ८७०० BCE का मान सकते हैं ।


संदर्भ

  1. Wikipedia, The Free Encyclopedia. Dravidian peoples. https://en.wikipedia.org/wiki/Dravidian_peoples
  2. विकिपीडिया, एक मुक्त ज्ञानकोश. संहिता. https://hi.wikipedia.org/wiki/संहिता
  3. विकिपीडिया, एक मुक्त ज्ञानकोश. ब्राह्मण ग्रन्थ. https://hi.wikipedia.org/wiki/ब्राह्मण-ग्रन्थ
  4. Wikipedia, The Free Encyclopedia. Aranyaka. https://en.wikipedia.org/wiki/Aranyaka
  5. विकिपीडिया, एक मुक्त ज्ञानकोश. उपनिषद्. https://hi.wikipedia.org/wiki/उपनिषद्
  6. विकिपीडिया, एक मुक्त ज्ञानकोश. चरक संहिता. https://hi.wikipedia.org/wiki/चरक_संहिता
  7. विकिपीडिया, एक मुक्त ज्ञानकोश. ऐतरेय ऋषि. https://hi.wikipedia.org/wiki/ऐतरेय_ऋषि
  8. The Chronology of India, Vedveer Arya. Manu to Mahabharata, Page 119. https://dokumen.pub/the-chronology-of-india-from-manu-to-mahabharata