cKlear दर्शनशास्त्र मनु वंश सप्तऋषि

आदि योगी

एशिया की सबसे पवित्र[1] मानी जाने वाली चोटी, माउंट कैलास[2], पश्चिमी तिब्बत में लगभग ६,६३८ मीटर की उचाई पर स्थित है । मानव जीनोमिक अध्ययन के आधार पर, तिब्बत पुरातत्व[3] का अनुमान है कि लगभग २०००० BCE में तिब्बत के इस क्षेत्र में लोग बसने लगे थे ।

शंकर का जन्म ऋषि अत्रि और उनकी पत्नी अनसूया से हुआ था । उनके जन्म के समय के बारे में कोई सटीक प्रमाण नहीं है, लेकिन विभिन्न वैदिक लेखों में मिले विवरणों के आधार पर यह अनुमान लगाया जाता है कि शंकर का जन्म १४००० BCE के आसपास हुआ था ।

शंकर, जो शिव के अवतार माने जाते हैं, को आदि योगी भी कहते हैं । शिव एक तत्व (सिद्धांत) है जहाँ से यह सृष्टि उत्पन्न हुई है, जहाँ यह कायम है, और जिसमें यह विलीन हो जाएगी । शिव यह सृष्टि हैं, वह चेतना हैं । हम शंकर और शिव में भेद नहीं करते हैं, क्योंकि शंकर ने शिव को संपूर्ण रूप में जाना था ।

वह स्वभाव से क्रोधी होने के लिए जाने जाते थे और उन्हें मनुष्यों के साथ-साथ देवों से भी सम्मान मिलता था । शंकर की दो पत्नियां थीं, पहली पत्नी का नाम सती था (जिन्हें दक्षिणायिनी भी कहा जाता है) । वह राजा दक्ष की पुत्री थीं । सती की मृत्यु के बाद शिव ने पार्वती से विवाह किया । उनके पार्वती से दो पुत्र थे, जिनका नाम कार्तिकेय और गणेश था, और एक पुत्री थी, जिनका नाम अशोक सुंदरी था ।

विज्ञान भैरव तंत्र

तंत्र शब्द का अर्थ है विधि, उपाय, या मार्ग । इस लिए विज्ञान भैरव एक वैज्ञानिक ग्रंथ है । विज्ञान क्यों की नहीं, कैसे की चिंता करता है । विभिन्न वैदिक ग्रंथों की तरह विज्ञानं भैरव भी प्रश्नों और उनके अत्तारों पर आधारित है । पार्वती शंकर से पूछती हैं कि सत्य क्या है, यह आश्चर्य भरा जगत क्या है, इसका बीज क्या है, आदि । शंकर के उत्तरों में सत्य को जानने की एक सौ बारह विधियां हैं । ध्यान की इन एक सौ बारह विधियों से मन के रूपांतरण का पूरा विज्ञान निर्मित हुआ है । उनमें सभी संभावनाओं का समावेश है; मन को शुद्ध करने के, मन के अतिक्रमण के, सभी उपाय उनमें समाएँ है ।

ओशो के अनुसार शिव की इन एक सौ बारह विधियों में एक और विधि भी नहीं जोड़ी जा सकती है । कुछ जोड़ने की गुंजाईश ही नहीं है । यह सर्वांगीण है, संपूर्ण है, और अंतिम है । यह सब से प्राचीन है और साथ ही सबसे आधुनिक, सबसे नवीन भी ।

सामाजिक संरचना

लगभग १४००० BCE तक मनुष्य काफी बड़े समूहों में बसने लगे थे, जिसकी वजह से सामाजिक और राजनीतिक समस्याएं उत्पन्न होने लगी थीं । शंकर ने न केवल इन तत्कालिक समस्याओं को समझा परन्तु उन्हें भविष्य की समस्याओं का भी पूर्वाभास हो गया था । उन्होंने सामाजिक और राजनीतिक संरचनाओं और उनके कामकाज के तरीके को परिभाषित किया ।

आदि योगी ने सप्तऋषिओं (कश्यप, अत्रि, वशिष्ठ, भारद्वाज, गौतम, जमदग्नि और विश्वामित्र) को यह ज्ञान दिया और दुनिया भर में इस ज्ञान का प्रसार करने के लिए अलग-अलग दिशाओं में जाने के लिए कहा । इनमें से कई संरचनाओं और कार्यप्रणालियों का आज भी दुनिया भर में उपयोग किया जा रहा है ।

सामाजिक संरचना में लोगों को उनकी क्षमता और पेशे के आधार पर ब्राह्मण, क्षत्रिय, वैश्य और शूद्र के रूप में वर्गीकृत किया गया । शंकर ने प्रत्येक श्रेणी की भूमिकाओं और जिम्मेदारियों को विस्तार से परिभाषित किया ।


संदर्भ

  1. Sadhguru, Isha Foundation. Mount Kailash - The Abode of Shiva. https://isha.sadhguru.org/us/en/sadhguru/mystic/mount-kailash-abode-of-shiva
  2. Wikipedia, The Free Encyclopedia. Mount Kailash. https://en.wikipedia.org/wiki/Mount_Kailash
  3. Tibet Archaeology, and all thngs Tibetan. Fight Of The Khyung. http://www.tibetarchaeology.com/may-2013/