cKlear सृष्टि विज्ञान
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सृष्टि विज्ञान

यह आश्चर्यजनक है कि हमारे प्राचीन वैज्ञानिक हजारों साल पहले प्रकृति के बारे में ऐसे तथ्य जानते थे जिनमे से आधुनिक विज्ञान अभी तक कुछ की ही व्याख्या कर पाया है । इन वैदिक वैज्ञानिकों का दावा था कि हम इस शरीर के अध्ययन (आध्यात्मिक ज्ञान) से इस समस्त ब्रह्मांड के रहस्यों को जान सकते हैं । इसके अलावा, वैदिक संस्कृत, जिसमें वैदिक ज्ञान दर्ज है, अपने आप में एक सरल, उच्च संरचित, और वैज्ञानिक भाषा है ।

यह सृष्टि कैसे बनी[1], इस रहस्य ने कई महान विचारकों और दार्शनिकों को युगों से विस्मित किया है । हमारी उत्पत्ति से संबंधित इस प्रश्न ने कई महत्वपूर्ण विचारों और सिद्धांतों को जन्म दिया है । इन विचारों ने आधुनिक विज्ञान, आज वह जहां खड़ा है, को प्रेरित किया है । इतनी विशाल सृष्टि की उत्पत्ति को समझने का प्रयास, मन को उन छोटी-छोटी परेशानियों से परे ले जाता है, जो उसे घेरे रहती हैं, और उस मन को विस्मित कर देता है । पूर्व में, बाहर और भीतर की दुनिया का अध्ययन हमेशा गहराई से जुड़ा हुआ था । वास्तव में, उन्हें एक ही घोषित किया गया था । - श्री श्री रवि शंकर

ब्रह्मांड का निर्माण

ब्रह्माण्ड के निर्माण और उसकी संरचना को हमारे पुरातन ऋषिओं नें बहुत गहराई से समझा । इसका वर्णन विभिन्न वैदिक ग्रंथों में मिलता है । हरिभक्त वेबसाइट[2] ने खगोल विज्ञान और ब्रह्मांड विज्ञान पर वैदिक संदर्भों का एक समृद्ध संग्रह प्रकाशित किया है । यह संग्रह सृष्टि की संरचना, ब्रह्माण्ड के सृजन, सितारों और ग्रहों के घूर्णन, खगोल (पृथ्वी) संरचना और शास्त्र, इत्यादि के बारे में हजारों वर्ष पूर्व हुई खोजों को वर्णित करता है ।

ब्रह्मांड की आयु

प्राचीन वैदिक ग्रंथों में समय की इकाइयों का वर्णन माइक्रोसेकंड से लेकर खरबों वर्षों तक में मिलता है । वेदों के अनुसार सृष्टि का सृजन[3] १५.७४९ नील[4] (१०१३) वर्ष पूर्व हुआ था । सृष्टि के सृजन के उपरान्त ८४[8] ब्रह्माण्ड उत्पन्न हो चुके हैं, जिनका निर्माण और विनाश एक चक्र में होता रहता है । अबतक इनमें से ६३ का विनाश हो चूका है और २१ अभी भी शेष हैं । हमारे ब्रह्माण्ड का संपूर्ण जीवन काल ४३२ अरब (१०) वर्ष है । आधुनिक विज्ञान के अनुसार ब्रह्मांड की अब तक की आयु लगभग १३.८ अरब (१०) वर्ष है ।

आधुनिक विज्ञान का दावा है कि सृष्टि का सृजन महाविस्फोट से हुआ था और हम उस महाविस्फोट के एक सेकंड के शूक्ष्म अंश के बाद क्या हुआ जानते हैं । इस परिपेक्ष के अनुसार वैदिक और आधुनिक विज्ञान के यह आंकलन बहुत भिन्न है । अगर हम समय के फैलाव[5] के परिपेक्ष में देखें तो ये संभव है कि आज के समय के सन्दर्भ में वैदिक अनुमान सही हो और आधुनिक विज्ञान का आंकलन वास्तविकता से कम हो । इस मान्यता का समर्थन करने वाले कुछ तथ्य हैं । आधुनिक विज्ञान उन सिद्धांतों पर आधारित है जो हमारी प्रयोगशालाओं में सिद्ध हो चुके हैं । आधुनिक विज्ञान महाविस्फोट के १०-११ सेकेंड से पहले की स्थिति अभी तक प्रयोगशालाओं में पैदा नहीं कर पाया है । दूसरी ओर, वैदिक वैज्ञानिकों का दावा है कि उनके अनुमान प्रत्यक्ष ज्ञान पर आधारित हैं और इसलिए वे महाविस्फोट से बहुत पहले के ब्रह्मांड के निर्माण की विस्तार से व्याख्या करने में भी सक्षम थे । इसके अलावा हम जानते हैं[5] कि कमजोर गुरुत्व वाला व्यक्ति अपनी घड़ी को सामान्य और दूसरी घड़ी को, जो महाविस्फोट के समय पर थी, धीमी गति से चलता देखता है । हम यह भी जानते हैं कि समय स्वयं धीमा और तेज हो रहा है क्योंकि सापेक्षतावादी तरीके से द्रव्यमान अंतरिक्ष और समय[6] को विकृत करता है ।

प्रकाश की गति

ऋग्वेद में[7], प्रकाश की गति के बारे में एक श्लोक के अनुसार प्रकाश की गति १८५,०१७ मील प्रति सेकंड है । यह आधुनिक अनुमान १८६,२८२ मील प्रति सेकंड के आसपास है ।

सूर्य की पृथ्वी से दूरी

हनुमान चालीसा के एक श्लोक के अनुसार[2] सूर्य की पृथ्वी से दूरी ९६,०००,००० मील है । आधुनिक विज्ञान के अनुसार यह औसत दूरी ९३,०००,००० मील है । यह ध्यान देने योग्य है कि वैदिक ऋषियों ने ९००० BCE से पूर्व से ही सूर्य की दूरी का अनुमान लगाना शुरू कर दिया था ।


संदर्भ

  1. D. K. Hari, D. K. Hema Hari (2010). Creation Srishti Vignana, Bharat Gyan Series. Bangalore: Sri Sri Publications Trust
  2. हरिभक्त,एक विश्व । एक सनातन धर्म । वैदिक खगोल ब्रह्मांड विज्ञान. https://hindi.haribhakt.com/वेद-खगोल-ब्रह्मांड-ज्ञान/
  3. Gurudev – An Ancient Indian. Age of the Universe. https://www.hitxp.com/articles/science-technology/universe-age-ancient-india-hinduism/
  4. Wikipedia, The Free Encyclopedia. Indian numbering system. https://en.wikipedia.org/wiki/Indian_numbering_system
  5. Wikipedia, The Free Encyclopedia. Gravitational time dilation. https://en.wikipedia.org/wiki/Gravitational_time_dilation
  6. Wikipedia, The Free Encyclopedia. Spacetime distortion. https://en.wikipedia.org/wiki/Faster-than-light#Spacetime_distortion
  7. The Vedic Philosophy. Color and Speed of Light. https://cpdarshi.wordpress.com/2011/10/01/color-and-speed-of-light-as-per-vedas/amp/
  8. YouTube, Sadhguru. Parallel Universes Exist. https://youtu.be/VXc43GJ4bXY